अन्तरजनपदीय स्थानांतरण में संदेह के घेरे में 234 शिक्षकों के मेडिकल दस्तावेज

अन्तरजनपदीय स्थानांतरण में संदेह के घेरे में 234 शिक्षकों के मेडिकल दस्तावेज


शिक्षकों के अंतरजनपदीय स्थानांतरण प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। इस प्रक्रिया में शामिल 234 शिक्षकों का मेडिकल दस्तावेज जांच के दायरे में आ गया है। ये वे शिक्षक हैं जो अपने गृह जनपद में स्थानांतरण की चाहत रखते हैं, इसके लिए शिक्षकों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और स्थानांतरण प्रक्रिया में वेटेज का लाभ उठाने के लिए फर्जी मेडिकल सार्टिफिकेट तक लगा दिए हैं।


जिले में 974 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने गैर जनपद में तबादले के लिए आवेदन किया है। इसमें महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा है। तबादले में सबसे अधिक प्राथमिकता दिल्ली एनसीआर से सटे जिले गौतमबुद्ध नगर, ग्रेटर नोएडा और लखनऊ को मिली है। आवेदन पत्र के साथ संलग्न 234 ऐसे प्रपत्र जांच के दायरे में आ गए हैं जिन्होंने काउंसिलिंग में फर्जी तरीके से मेडिकल प्रमाण पत्र बनवा कर जमा किया था। प्रदेश स्तर पर ऐसे बड़े फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद प्रदेश सचिव बेसिक शिक्षा ने बीएसए जौनपुर को भी मेडिकल प्रपत्रों की जांच के निर्देश दिए गए हैं। जिसके लिए डीएम दिनेश कुमार सिंह के निर्देशन बेहद ही गोपनीय तरीके से जांच शुरू कराई तो इस जांच में लगे कर्मचारियों का कहना है कि तमाम शिक्षकों ने प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से लगाया है।


इस संबंध में प्रभारी बीएसए नन्दलाल यादव ने बताया कि पांच नबंर का भारांक बीमारी का मिल रहा है। प्राथमिकता में शामिल होने के लिए डाक्टरों से फर्जी तरीके से प्रमाण पत्र बनवा लिए हैं, जबकि ये शिक्षक पूर्ण रूप से देखने में फिट हैं।


कई शिक्षक रेस से हो जाएंगे बाहर


जौनपुर। सीएमओ डा. रामजी पांडेय ने बताया कि ऐसे संदिग्ध शिक्षकों के प्रमाण पत्र का सत्यापन कराने के लिए अभी हमारे पास कोई पत्र नहीं आया है लेकिन जिस स्थिति में सैकड़ों शिक्षकों ने मेडिकल प्रमाण पत्र लगाया है। वह जांच के दायरे में आ गए हैं। लिहाजा वह न चाहते हुए भी ट्रांसफर लिस्ट से बाहर हो जाएंगे। क्योंकि ट्रांसफर में असाध्य रोग से प्रभावित शिक्षकों को लाभ मिलेगा, किसी शिक्षक ने बुखार का प्रमाण का प्रमाण पत्र लगाया तो किसी ने हाईपरटेंशन का।


अंतरजनपदीय स्थानांतरण प्रक्रिया में फर्जीवाड़े की शिकायतों के मद्देनजर पड़ोसी जनपद आजमगढ़, सुलतानपुर में भी ऐसी शिकायतें आईं थी। वहां पर मेडिकल बोर्ड गठित हो गया है। इसी प्रकार की जांच जिले में मेडिकल पैनल का गठन करके जांच कराई जानी चाहिए। '


-अरविन्द शुक्ल, जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ उप्र।


शासन ने स्थानांतरण को चार्ट तैयार कराया है। जिसमें शिक्षकों की कार्यावधि के साथ ही, स्वास्थ्य संबंधी कालम भी शामिल है। ऐसे में इस कालम का लाभ प्राप्त करने की खातिर कुछ शिक्षकों ने प्राइवेट और झोलाछाप डाक्टरों से सार्टिफिकेट बनवा कर जमा कर दिए हैं।